अमरावती: भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर मुख्य के मुख्य अंश

अमरावती: भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर मुख्य के मुख्य अंश

75th Anniversary of the Indian Constitution

75th Anniversary of the Indian Constitution

( अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )

75th Anniversary of the Indian Constitution: अमरावती (आंध्र प्रदेश) में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने अपने मुख्य न्यायाधीश के रूप में अंतिम कार्यक्रम में कहा कि उनका गृहनगर महाराष्ट्र में अमरावती है और उनके न्यायिक जीवन का यह अंतिम कार्यक्रम भी यहीं आयोजित हुआ। उन्होंने भावपूर्ण ढंग से कहा कि वे दो दिनों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं और इस अवसर पर संविधान और न्याय के महत्व पर अपने विचार साझा करना चाहते हैं।

संविधान का उद्देश्य और नीति निर्देशक सिद्धांत

न्यायमूर्ति गवई ने स्पष्ट किया कि संविधान में सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए नीति निर्देशक सिद्धांतों को शामिल किया गया। संविधान ने नागरिकों को यह अधिकार भी दिया कि उनके मौलिक अधिकारों का हनन होने पर वे न्यायालय का सहारा ले सकते हैं।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का दृष्टिकोण

गवई ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों पर जोर दिया और कहा कि अंबेडकर संविधान को एक स्थिर दस्तावेज़ के रूप में नहीं देखते थे। उनका मानना था कि समय के साथ संविधान में आवश्यक बदलाव किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि अंबेडकर का भाषण हर वकील और न्यायप्रेमी के लिए प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद है।

संविधान में संशोधन की प्रक्रिया

न्यायमूर्ति गवई ने बताया कि संविधान में कुछ पहलुओं में संशोधन करना आसान है, जबकि कुछ पहलुओं में यह अत्यंत कठिन है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान लागू होने के अगले वर्ष ही पहला संविधान संशोधन किया गया, जिसमें आरक्षण का प्रावधान जोड़ा गया।

केंद्र और सर्वोच्च न्यायालय के मतभेद

संविधान संशोधन के प्रारंभिक दौर में केंद्र और सर्वोच्च न्यायालय के बीच मतभेद थे। केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की मूल प्रकृति की अवधारणा को स्पष्ट किया और कहा कि संविधान की मूल प्रकृति में संशोधन नहीं किया जाना चाहिए। 1975 तक मौलिक अधिकारों को नीति निर्देशक सिद्धांतों से अधिक प्राथमिकता दी जाती थी।

केशवानंद भारती के बाद बदलाव

केशवानंद भारती मामले के निर्णय के बाद, न्यायालय ने मौलिक अधिकारों के साथ-साथ नीति निर्देशक सिद्धांतों को भी समान महत्व दिया। इस निर्णय ने भारतीय संविधान की स्थिरता और लचीलापन दोनों को सुरक्षित किया।

संविधान के चार स्तंभ और नागरिकों का हित

न्यायमूर्ति गवई ने अंत में कहा कि हमारा संविधान चार स्तंभों पर टिका है और डॉ. अंबेडकर ने इसे प्रत्येक नागरिक को ध्यान में रखते हुए बनाया। उनका संदेश था कि संविधान सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि समाज और न्याय की नींव है।